प्रकृति की सुरम्य वादियों में अवस्थित बाबू राम सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय , खाड़पाथर , मुर्धवा
(रेणुकूट ) , सोनभद्र उ0 प्र0 , प्रादेशिक मानचित्र पर सोनभद्र जनपद के औद्योगिक नगर क्षेत्र रेणुकूट नामक
स्थान पर स्थित है। दिनांक 01 अक्टूबर सन् 2003 को इस महाविद्यालय का शिलान्यास हुआ।
मानव प्रत्येक युग का स्रस्टा है। वह प्रत्येक नया सृजन प्रकृति के माध्यम से सीखता है। मानव प्रकृति के गोद में जन्म से
लेकर मृत्यु तक प्रकृति के रंगमंच पर अभिनय करता है। मानव का जीवन उसकी उपलब्धि होती है। वह अपने जीवन
मूल्य के द्वारा ही एक नए समाज का निर्माण करता है , और जीवन मूल्य के निर्माण में शिक्षा की आधारभूत भूमिका
होती है।
शिक्षा एक सतत् विकासशील प्रक्रिया है। मानव समाज का हम जितना अधिक अध्ययन करते है , उतना ही यह पाते हैं
कि मानव की सबसे बड़ी सम्पति उसकी शिक्षा है। विकास के अनेक स्तरों से गुजरते हुए आज का मानव यदि इतना
सभ्य बन सका है , तो इसका एक मात्र कारण उसकी शिक्षा है। शिक्षा से ही मानव ने तरह - तरह के विचारों ,व्यवहारों
तथा अविष्कारों के द्वारा एक अपूर्व कुशलता प्राप्त की है। शिक्षा से ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है। शिक्षा के
बिना मानव पशु के समान कहा जाता है।
शिक्षा की उपर्युक्त भूमिका को ध्यान में रखते हुए , इस महाविद्यालय की स्थापना उच्च शिक्षा के दृश्टिकोण
से पिछड़े सोनभद्र जिले के खाड़पाथर में किया गया । इस महाविद्यालय के सभी संकायों में जो सभी छात्र
/ छात्रायें शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं , उनके उज्जवल भविष्य की कामना मेरा धर्म एवं कर्त्तव्य है
। मैं उनके उज्जवल की कामना करता हूँ तथा यह अपेक्षा करता हूँ कि वह एक योग्य व्यक्ति बनकर देश
को प्रगति के मार्ग पर ले जाये। इस विद्या मंदिर को समुन्नत , उत्कृष्ट एवं बहुआयामी बनाने के लिए मैं
सदैव प्रयत्नशील रहूँगा।
सभी आदरणीय एवं श्रेष्ठजनों से अपेक्षा करता हूँ कि वे समय - समय पर अपने आशीष एवं दिशा – निर्देश
से इस विद्या मंदिर के विकास में सहयोग प्राप्त करते रहेंगे।
धन्यवाद !
बलवन्त सिंह
प्रबंधक